कुछ शामों की शक्ल खूबसूरत नही होती
गहरी काली घटाएँ,
बेतहाशा बरसती बूंदे,
बीच-बीच मे आँख दिखाती बिजलियां,
हवाओं का अजीब शोर,
जैसे कोई घायल रूह कराह रही हो !!
कुछ ऐसा ही आलम आज के मौसम का था,
आज बारिश रुकने का नाम ही नही ले रही,
और मैं एक टक उन बूंदो को निहारे जा रही थी जो टिप-टिप की आवाज करते हुए मेरे पास पड़े एक बाल्टी पर गिर रही थी,
मैं उस बूंदों को हाथों में लेकर
यादों की बारिश में डूबती जा रही थी,
दिल मे बेतहाशा से अरमान उमड़ रहे थे,
बार -बार ज़ुबाँ ये लफ्ज़ दुहरा रही थी कि,
"काश वो यहाँ होते....!!
ये वही बारिश की लड़ी है जिसमे हम कभी भींगते जा रहे थे,
और वो मुझमे बारिश की बूंदों की तरह समाते जा रहे थे,
आज ये उदास सी बारिश कुछ अनकहा सी दास्तां सुना रही है,
दिल मे हज़ारो ग़म उभर पड़े है लेकिन ज़ुबाँ खामोशी इख़्तेयार किये है
आँखों मे भी एक अलग बदली छाई हुई है
जो अब बरसे की तब बरसे ।
इंतेज़ार है तो बस उनके एक "call" का,
जिसकी एक ringtone हमेशा की तरह चिर देती है खामोशियों को,
दिल मे उठ रहे लाखों सैलाब को दबा देती है उनका सिर्फ एक
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